भावुक हृदय
भावुक हृदय
भावुक हृदय में ही होता
प्रेम का संचार।
स्व व्यथा क्या ?
पर-व्यथा में बहती अश्रुधार।
मातृप्रेम ही होता इसका आधार।
राष्ट्रप्रेम का होता यह आगार ।
सद्गुणों का होता
इसमें सन्निवेश।
फिर चाहे जैसा भी हो परिवेश।
मानव हृदय में बाँधता है धैर्य,
समय आने पर जुड़ता है शौर्य।
भावुक हृदय एकसूत्र में
पिरोता परिवार ।
इस परिवार में समाता
सारा संसार ।
जीव-जन्तु क्या ?
प्रभु भी न पाते पार ।
प्रेम व श्रद्धा की
इसमें शक्ति अपार ।
– डॉ० उपासना पाण्डेय