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28 Oct 2020 · 1 min read

भावना दोहा

मानव के उर में सदा, करे भावना वास।
कभी बढ़ाये प्रेम को, मन हो कभी उदास।।

जिसके ह्रदय न भावना, वहां नही हैं प्राण।
जीते जी मानो उसे, है वो मृतक समान।।

स्वार्थ लोभ की भावना, करते हैं सब आज।
अपने मतलव के लिए, करते हैं वो काज।।

मानव ह्रद में भावना, होती बहुत अनेक।
कभी करे ग़मगीन तो, हृद है कभी विवेक।।

Language: Hindi
522 Views
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