Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

जुल्मतों के दौर में

सोचना भी जुर्म है
बोलना भी जुर्म है
ज़ुल्मतों के राज़
खोलना भी जुर्म है…
(१)
खौफ़नाक सन्नाटा
जब फैला हुआ हो
बगावत हवाओं में
घोलना भी जुर्म है…
(२)
जब तलवार सामने हो
तो हाथ की क़लम से
जल्लाद की ताक़त को
तौलना भी जुर्म है…
(३)
वक़्त के सुकरात को
मिलता है ज़हर यहां
जान-बूझकर ख़तरा
मोलना भी जुर्म है…
(४)
पहले से चिढ़े हुए हों
हुक़्मरान जिनसे
उनके साथ खुलेआम
डोलना भी जुर्म है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#शायरी #freedomofspeech
#हिम्मत #अभिव्यक्ति #आजादी
#इंसाफ #सरफरोश #हल्लाबोल
#इंकलाबी #बागी #सियासी #शायर
#विद्रोही #क्रांतिकारी #कवि #हक
#गीतकार #lyrics #lyricist #सच

Language: Hindi
Tag: गीत
304 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"आखिरी इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
वह आवाज
वह आवाज
Otteri Selvakumar
Gatha ek naari ki
Gatha ek naari ki
Sonia Yadav
यदि समुद्र का पानी खारा न होता।
यदि समुद्र का पानी खारा न होता।
Rj Anand Prajapati
चाँद
चाँद
लक्ष्मी सिंह
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
Ram Krishan Rastogi
💐प्रेम कौतुक-453💐
💐प्रेम कौतुक-453💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"हर कोई अपने होते नही"
Yogendra Chaturwedi
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
"कैसे सबको खाऊँ"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
"दहलीज"
Ekta chitrangini
लग जाए गले से गले
लग जाए गले से गले
Ankita Patel
मुझे फ़र्क नहीं दिखता, ख़ुदा और मोहब्बत में ।
मुझे फ़र्क नहीं दिखता, ख़ुदा और मोहब्बत में ।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
कवितायें सब कुछ कहती हैं
कवितायें सब कुछ कहती हैं
Satish Srijan
ऐसा क्यों होता है
ऐसा क्यों होता है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
I'm a basket full of secrets,
I'm a basket full of secrets,
Sukoon
सब वर्ताव पर निर्भर है
सब वर्ताव पर निर्भर है
Mahender Singh
याद आते हैं
याद आते हैं
Chunnu Lal Gupta
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
Er.Navaneet R Shandily
बेटा बेटी का विचार
बेटा बेटी का विचार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
Neeraj Agarwal
अगर सक्सेज चाहते हो तो रुककर पीछे देखना छोड़ दो - दिनेश शुक्
अगर सक्सेज चाहते हो तो रुककर पीछे देखना छोड़ दो - दिनेश शुक्
dks.lhp
3136.*पूर्णिका*
3136.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हां मुझे प्यार हुआ जाता है
हां मुझे प्यार हुआ जाता है
Surinder blackpen
#छोटी_सी_नज़्म
#छोटी_सी_नज़्म
*Author प्रणय प्रभात*
फूल
फूल
Pt. Brajesh Kumar Nayak
शब्द -शब्द था बोलता,
शब्द -शब्द था बोलता,
sushil sarna
Loading...