भारत माता का दर्द
भारत माता का दर्द
मेरी माँ भारती फिर से मेरे सपनों में आने लगी
मीठी लोरी सुना वीरों की कहानी सुनाने लगी
कैसे हुए थे गुलाम हम अपनी मानसिकता के
कैसे तोड़ी गुलामी की जंजीरे माँ ये बताने लगी
राणा शिवाजी रणजीत की याद बहुत आती है
भगत सुखी ख़ुशी की फांसी मुझे बहुत रुलाती है
वंदे मातरम् कह के उनका बेटे वो फांसी पर चढ़ जाना
मेरा म दे बसन्ती चोला माँ कहके मेरा कलमा पढ़ जाना
घन्नानंद ने जब घोर भयंकर अत्याचार मुझ पर कर डाला था
चन्दरगुप्त और चाणकय ने मार उसे मुझे आज़ाद कर डाला था
चन्द्र गुप्त हो या अशोक महान भारत इन्होंने ही बनाया था
ख़ुशी से नाची मैं सारी रात गुलामी से जो मैंने छुटकारा पाया था
देख दोस्त सुदामा जैसे या बनना कर्ण जैसा तूम महान
करना गो की रक्षा सदा बेटी मेरी है प्यारी दुलारी है बेजुबान
लक्ष्मी अवन्ती और पद्मिनी या हो पुत्री सीता
रोशन किया नाम मेरा और कृष्ण ने कह गीता
मर्यादा पुरषोतम राम और कृष्ना की जब जन्मभूमि मैं कहलाती हूँ
गर्व से मैं खुश होकर गीता रामायण पाठ तुझको प्यार से सुनाती हूँ
मेरा राजा रणजीत सिंह एक आँख से सबको देखा करता था
सब का था उसकी नज़र में सम्मान पंजाब की रक्षा करता था
नाखुश थी माता आतंकवाद और गद्दारों के दम्भो से
अफजल और कन्हैय्या जैसो को लटका दो नंगा कर खम्बो से
ये जो गद्दार आने लगे है रोज मुझे खून के आसूं रुलाने लगे है
मत करे मेरी जय जय कार पर क्यों गद्दार मेरा दूध लजाने लगे है
इस कन्हैया ने मेरे कान्हा को बदनाम कर डाला है
क्या मुझे बचाने आएगा मेरा राम रहीम या मुरलीवाला है
मैंने तो पैदा किया था तूम सबको इक इंसान
क्यू हो गए बोलो बेटे फिर तुम हिन्दू और मुस्लमान
मेरे लिखे वेद पढ़ो या पढ लो तुम गीता और कुरआन
मैंने कब इंसानियत के टूकड़े कर के बांटे थे तुम इंसान
इन नेताओ ने साजिशो का कर डाला रोज नया घोटाला है
पहले तो मीरा को दिया अब पिलाया विष का प्याला है
कभी अशफक उल्लाह तो कभी भगत को सपनों में आई
वीर मोहम्मद हामिद ने भी थी टेंक के आगे मेरी लाज बचाई
अब तो रोज करता ओबैसी जैसा मेरी जग हंसाई
इसलिए मैं तुझे छोड़ किसी के सपनों में नहीं आई
कब पूरा होगा अखंड भारत का मेरा पूरा सपना
धर्मनीति को राजनीति बनाये तोड़े भारत मेरा अपना
मैं फिर से तेरे सपनों में आई और फिर से सपनो में आऊँगी
जब जब मैं खुद को मानसिकता की गुलामी में पाऊँगी
कवि अशोक कुमार सपड़ा की कलम से
पता बी 11/1गली no 8 साऊथ अनारकली चन्द्र नगर दिल्ली 51