“भारत देश हमारा है “
वुजू करें इस माटी से,
भाल तिलक सा मलते हैं।
ये जीसस की माला सी,
हम “गुरुग्रंथ” सा पढ़ते हैं।
ये देश है प्यारे उपवन सा,
यहाँ पुष्प अनेको खिलते हैं।
कोने – कोने, गलियों – कूंचे,
यहाँ कई अजूबे मिलते हैं।
हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई,
सबका एक ही नारा है।
हम भारत के वासी हैं,
यह भारत देश हमारा है।
शशि “मंजुलाहृदय”