"मौत की सजा पर जीने की चाह"
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कोई आज भी इस द्वार का, सांकल बजाता है,
पीयूष गोयल में हाथ से लिखी दर्पण छवि में १७ पुस्तकें.
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
जुड़वा भाई ( शिक्षाप्रद कहानी )
अलग सी सोच है उनकी, अलग अंदाज है उनका।
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
आग लगाते लोग
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
ज्यों स्वाति बूंद को तरसता है प्यासा पपिहा ,
संवादरहित मित्रता, मूक समाज और व्यथा पीड़ित नारी में परिवर्तन
वो नेमतों की अदाबत है ज़माने की गुलाम है ।