Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2019 · 2 min read

सुनो सिंहासन के रखवाले !

जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतिपुरा में आतंकी हमले में हुतात्मा वीरों के याद में शासनतंत्र को कर्तव्यबोध दिलाती एक कवि की भावपूर्ण कविता –

________________

कविता
——————

कह रहा स्तब्धित खड़ा हिमालय, घुटता रो-रो सिंधु का नीर,

हे भारत के सेवक जगो, क्यों मौन सुषुप्त पड़े अधीर !

क्रुर प्रहार झंझावातों में, जीवन नैया धीरों की डूब गयी,

विस्फोटों को सहते-सहते , जनमानस उद्वेलित अब उब गयी ।

ले उफान गंगा की व्याकुल धारा , छोड़ किनारा उछल रही ;

नर्मदा दुख से आहत हो , युद्ध हेतु दृढ़ सबल दे रही ।

जिहादों से घूट-घुट , हर दिन वीर मरे जाते हैं,

विस्फोटों के धुएं में हर धीर कटे जाते हैं ।

आज वीर मरे जो हैं , धैर्य देश का डोला है ,

शासन की कर्तव्य बोध को जनमानस ने तोला है ।

बिलख रही कुमकुम रोली, बिलख रही नूपुर की झंकार,

बिलख रही हाथों की चूड़ियाँ , हाय ! बिलख रही मृदु कंठ-हार ,

बिलख रही धरा झंझावातों से, बिलख रही नयन नीर-धार ;

बिलख रही कैसी सौम्य सुरम्य प्रकृति , बिलख रही अखंड सौम्य श्रृंगार !

कारगिल की शौर्य पताका , नभोमंडल में डोल रही,

हे भारत के कर्णधार युद्ध कर अब बोल रही !

डोली शौर्य पताका वीर शिवा की, हल्दीघाटी भी डोली है ,

बिस्मिल की गजलें भी डोली , डोली वीर आजाद की गोली है ।

वीरों की माटी की धरती , अपने गद्दारों से डोल रही ;

अकर्मण्य , अदूरदर्शी , सत्तालोलुपों से , कड़क भाषा अब बोल रही !

हे सिंहासन के रखवाले , करो याद कर्तव्य करो विचार ,

सिसक रहा है सारा देश , सर्वत्र मची है करूण पुकार ,

धरणी सीमाओं पर तांडव करती , कैसी मानव की पशुता साकार ;

क्या व्यर्थ जाएगा यह बलिदान या कर पाओगे अमोघ प्रतिकार !

माथे का कलंक भयावह , जगे शौर्य कंटक दंश मिटे ;

शत्रु को धूल-धूसरित कर , फिदायीन जालों के पंख कटे ।

आतंक मिटाने में बाधक , किसी का मत तथ्य सुनो तुम ;

जिहादियों को राख कर दे , स्वाभिमानी उपक्रम चुनो तुम !

महा समर की बेला है , ले पाञ्चजन्य उद्घोष करो ;

शत्रु को मर्दन करने को , त्वरित आर्ष भाव में रोष भरो ।

सेना को आदेश थमा दो , भयावह विप्लव ध्वंस मचाने को ;

अपने गद्दारों सहित समूचे आतंकिस्तान विध्वंस कराने को ।
_____

अखंड भारत अमर रहे !
©

✍? कवि आलोक पाण्डेय

वाराणसी ,भारतभूमि

Language: Hindi
1 Like · 519 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Seema gupta,Alwar
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
"विश्ववन्दनीय"
Dr. Kishan tandon kranti
2998.*पूर्णिका*
2998.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जन अधिनायक ! मंगल दायक! भारत देश सहायक है।
जन अधिनायक ! मंगल दायक! भारत देश सहायक है।
Neelam Sharma
जुदाई
जुदाई
Dr. Seema Varma
विरही
विरही
लक्ष्मी सिंह
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
Raju Gajbhiye
कैसे अम्बर तक जाओगे
कैसे अम्बर तक जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली 2023
विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली 2023
Shashi Dhar Kumar
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
VINOD CHAUHAN
जिंदगी की किताब
जिंदगी की किताब
Surinder blackpen
आप किससे प्यार करते हैं?
आप किससे प्यार करते हैं?
Otteri Selvakumar
माचिस
माचिस
जय लगन कुमार हैप्पी
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*Author प्रणय प्रभात*
देशभक्ति पर दोहे
देशभक्ति पर दोहे
Dr Archana Gupta
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। आज मैं CA बन गया। CA Amit
कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। आज मैं CA बन गया। CA Amit
CA Amit Kumar
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शब्द : दो
शब्द : दो
abhishek rajak
नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत
नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत
gurudeenverma198
Empty pocket
Empty pocket
Bidyadhar Mantry
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
सत्य कुमार प्रेमी
मां जैसा ज्ञान देते
मां जैसा ज्ञान देते
Harminder Kaur
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
Pankaj Sen
निश्छल प्रेम
निश्छल प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दिलों के खेल
दिलों के खेल
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
Loading...