भारत की बेटी
तांटक छंद
वीर रस
मात्रा भार 16/14
दूसरे, चौथे चरण में 222
मैं जिस भारत की बेटी हूं,
उसका गीत सुनाती हूं।
जिसका नाम विश्व में ऊंचा,
उसका नित गुण गाती हूं।
था भारत सोने का पंछी,
आ शत्रुओं ने लूटा था ।
बार-बार की लूटपाट से,
एक कोना न छूटा था।
साहसी, शौर्यवान भारत,
का कौन कुछ बिगड़ेगा।
आ देश का बच्चा-बच्चा,
इसे खूब संवारेगा ।
पाकिस्तान और चीन के लिए
क्या हुआ जो इसका सहोदर,
नित षड्यंत्र रचाए हैं।
विवेक घुटनों में धंस रहा ,
जीभा अति ललचाए हैं।
उत्तरी पड़ोसी भी नित नया,
कुटिल खोजे रचाता है ।
जग में फैला कर बीमारी,
कैसी चाल चलाता है ।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)