भारत का युवा
भारत का हर युवा लड़का लड़की देश विदेश में कितना नशे में चूर है।
पैसा पद मान और प्रतिष्ठा कमाने में देखो क्यों इतना मजबूर है।।
नहीं पता उसे देश समाज और धर्म से भी उसका कोई नाता है।
उसे तो बस दिन रात पैसे और प्रतिष्ठा के पीछे भागना आता है।।
रिश्ते और रिश्तेदार तो उसके फ़ोन में केवल सेव नाम और नम्बर हैं।
यार दोस्त और पास पड़ोसी सब पार्टी में उछलने कूदने वाले बन्दर हैं।।
परिवार के फंक्शन या शादी में जाने का इनको समय नहीं मिल पाता है।
ऐसे अवसर पर इनको अपने या ऑफिस के काम से जाना पड़ जाता है।।
कौन बताएगा इनकी देश और समाज के प्रति क्या क्या ज़िम्मेदारी है।
ये नहीं जानते कि घर के बुजुर्ग और परिवार के लोगों की भी लाचारी है।।
कहे विजय बिजनौरी सबको अपने अपने धर्म अनुसार ही चलना चाहिए।
मिलजुलकर ही रहना चाहिये और बिना बँटें हर कार्य अपना करना चाहिए।।
देश समाज और अपने धर्म को हम टुकड़ों टुकड़ों में बाँट नहीं सकते हैं।
एक रहेंगें तो सेफ रहेंगे और डटकर मुक़ाबला भी हम कर सकते हैं।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।