“भाम छंद”
“भाम छंद”
सात पहाड़ा धाम शिवे, शिव का पहरा।
पाल रहे आकार हरी, शुभदा भँवरा।।
जो प्रभु जी का मान करे, तिन को भजता।
पावक से वो पाक बने, मन है सजता।।
नेह लगाएं जो हरि वा, शिव का पुतरा।
नाहक लोभी पालत है, छल का धतुरा।।
पाप हरो हे नाथ प्रभो, पिंजरा हमरा।
वास करो नौ नाथ लिए, सत्य का लहरा।।
महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी