Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2022 · 1 min read

भाग्य

शीर्षक – ” भाग्य ”

बहाकर खूब पसीना अब,

भाग्य ख़ुद लिखना होगा ।

अपने अटल इरादों से ही,

इस रण में टिकना होगा ।।

भूल पराजय का भय अब ,

परिश्रम भी करना होगा ।

शूल भरी इस राह पर तुमको ,

नंगे पांव चलना होगा ।।

प्रेम के मरहम से अब ,

घावों को भरना होगा ।

मेहनत के बलबूते पर ,

भाग्य से लड़ना होगा ।।

© डॉक्टर वासिफ क़ाज़ी इंदौर
© काज़ीकीक़लम

28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इकबाल कालोनी

इंदौर ,मध्यप्रदेश

Language: Hindi
122 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नीला ग्रह है बहुत ही खास
नीला ग्रह है बहुत ही खास
Buddha Prakash
"एक ही जीवन में
पूर्वार्थ
शायद अब यह हो गया,
शायद अब यह हो गया,
sushil sarna
ज़िंदगी के सौदागर
ज़िंदगी के सौदागर
Shyam Sundar Subramanian
*हनुमान के राम*
*हनुमान के राम*
Kavita Chouhan
हर चीज से वीरान मैं अब श्मशान बन गया हूँ,
हर चीज से वीरान मैं अब श्मशान बन गया हूँ,
Aditya Prakash
2923.*पूर्णिका*
2923.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।
है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।
Sanjay ' शून्य'
ये अमलतास खुद में कुछ ख़ास!
ये अमलतास खुद में कुछ ख़ास!
Neelam Sharma
गांव में फसल बिगड़ रही है,
गांव में फसल बिगड़ रही है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
हम ख़फ़ा हो
हम ख़फ़ा हो
Dr fauzia Naseem shad
😢गुस्ताख़ कौन?
😢गुस्ताख़ कौन?
*प्रणय*
शीर्षक - तृतीय माँ
शीर्षक - तृतीय माँ
Neeraj Agarwal
तंत्र सब कारगर नहीं होते
तंत्र सब कारगर नहीं होते
Dr Archana Gupta
विरक्ती
विरक्ती
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
संसार
संसार
Dr. Shakreen Sageer
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
क्या कहूँ ?
क्या कहूँ ?
Niharika Verma
ज्ञान से शब्द समझ में आते हैं और अनुभव से अर्थ समझ में आते ह
ज्ञान से शब्द समझ में आते हैं और अनुभव से अर्थ समझ में आते ह
ललकार भारद्वाज
आओ ऐसा दीप जलाएं...🪔
आओ ऐसा दीप जलाएं...🪔
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
" स्वर्ग "
Dr. Kishan tandon kranti
वो कली हम फूल थे कचनार के।
वो कली हम फूल थे कचनार के।
सत्य कुमार प्रेमी
चाहे तुम
चाहे तुम
Shweta Soni
गुमनाम
गुमनाम
Santosh Shrivastava
*Hey You*
*Hey You*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*तीरथ-यात्रा तो मन से है, पर तन का स्वास्थ्य जरूरी है (राधेश
*तीरथ-यात्रा तो मन से है, पर तन का स्वास्थ्य जरूरी है (राधेश
Ravi Prakash
अगर मुझे पढ़ सको तो पढना जरूर
अगर मुझे पढ़ सको तो पढना जरूर
शेखर सिंह
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
अमित
लेंगे लेंगे अधिकार हमारे
लेंगे लेंगे अधिकार हमारे
Rachana
Loading...