भाग्य
शीर्षक – ” भाग्य ”
बहाकर खूब पसीना अब,
भाग्य ख़ुद लिखना होगा ।
अपने अटल इरादों से ही,
इस रण में टिकना होगा ।।
भूल पराजय का भय अब ,
परिश्रम भी करना होगा ।
शूल भरी इस राह पर तुमको ,
नंगे पांव चलना होगा ।।
प्रेम के मरहम से अब ,
घावों को भरना होगा ।
मेहनत के बलबूते पर ,
भाग्य से लड़ना होगा ।।
© डॉक्टर वासिफ क़ाज़ी इंदौर
© काज़ीकीक़लम
28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इकबाल कालोनी
इंदौर ,मध्यप्रदेश