भाईचारा
भाईचारा
___________________________
निभाए कैसे हैवानों से इंसानों- सा भाईचारा,
प्रेम जाल में फांस जहाँ श्रद्धा टुकड़े कर दी जाती।
ऊंच-नीच और जात-पात जिसमें बसती बेचैनी ,बदले रंग भले ऊपर के मन में द्वेष की जलती अग्नि।
वेश भूषा , जाति, धर्म और भाषा का हो बंधन,चोर बसा हो जब फितरत मे दिल से दिल मिले कैसे ?
लगता आजाद भले बाहर से अंदर जंजीरों का बंधन,
विवेक के आलोक में देखो, घुटते इंसानो का हैवानों से भाईचारा हो कैसे?
मुक्ता रश्मि *