भारत की सेना
हस्ताक्षर कर शपथ पत्र पर,
प्रतिज्ञा ले लेता है।
पूरा भारत एक जगह पर,
जहां दिखाई देता है।
कोई गोरखा कोई बिहारी,
मद्रासी,सिख,जाट।
कोई डोगरा,राजपुताना,
सबके एक से ठाठ।
एक सी रोटी एक सी रहनी,
सबका एक सा रुख।
एक कुटुंब सा मिलकर रहते,
मिल बांटे सुख दुख।
महावीर हों या हो हज़रत,
ईशा,बुद्ध,महेश।
राम कन्हैया दुर्गा काली,
नानक, गुर दशमेश।
सब हैं सांझे ईष्ट सभी के,
भाव और न दूजा।
एक समान इबादत सबकी,
सांझी करते पूजा।
जात पात का भेद नहीं है,
धर्म लगें सब अपने।
एक तिरंगा नीचे रहते,
लक्ष्य एक, इक सपने।
अपनी आन बान की खातिर,
सरहद पर अड़ जाता है।
एक गोली से एक शत्रु को,
लड़कर मार गिराता है।
जोश गगन पर, एक ही नारा,
भारत भूमी विजयी भव।
या सीमा पर फहरे परचम,
या परचम में आये शव।
सीमा पर रिपु की बलि देना,
सैनिक माने अपनी शान।
नाम नमक निशान हेतु वह,
लड़कर दे देता है जान।
रण करने जब चले सिपाही,
और रहे कुछ याद नहीं ।
तब तक बढ़ता, जब तक दुश्मन,
हो जाता बर्बाद नहीं।
सदैव सजग व तत्पर रहकर,
अपनी सेवा देना है।
एक मिशाल अजब की जिसकी,
वो भारत की सेना है।