भय, भाग्य और भरोसा (राहुल सांकृत्यायन के संग) / MUSAFIR BAITHA
भय, भाग्य और भरोसा
(राहुल सांकृत्यायन के संग)
आपकी समझ है कि कोई
भाग्य के भरोसे रहे
और दुनिया को बदलने का
भरोसा भी रखे बाकी
मुझे भरोसा ही नहीं
इत्मीनान भी है कि दुनिया बदलेगी ही
पॉजिटिव भी हो सकेगी
दिन ब दिन आखिर
मगर
भय से
भागने से
और भाग्य से नहीं
सकर्मक इच्छाओं एवं जज्बों के
भरोसे से
इसी भरोसे ही तो
दुनिया बदलती आई है
और निरंतर बदलती रहेगी।