भद्रकाली
इन्द्रावती-गोदावरी का संगम स्थल
भद्रकाली जिसका नाम,
छत्तीसगढ़-आंध्र-महाराष्ट्र की त्रिकुटी
मेले से भी होती पहचान।
राजा अन्नमदेव द्वारा स्थापित यहाँ
माँ भद्रकाली की प्रतिमा,
भोपालपट्टनम से बारह मील दूरी पर
हरियाली लगती मनोरमा।
बसन्त पंचमी को लगते हर बरस
भव्य त्रि-दिवसीय मेले,
बहुत दूर-दूर से आते लोग यहाँ पर
पर्व होते अलबेले।
तीसरे दिन का उत्सव यहाँ खास
‘बोनाल’ कहलाते,
हल्दी-कुमकुम से सजे-धजे घड़े
दोहराकर रखे जाते।
खीर, खिचड़ी और सब्जी रहती
तीनों घड़े के अन्दर,
मन्दिर की परिक्रमा पश्चात खाते
सारे लोग जुरमिल कर।
हरेक तीन बरस अन्तराल में होता
अग्नि प्रज्जवलन पर्व,
खुले पाँव अग्नि में चलकर भक्तगण
खुद पर करते गर्व।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।