भजले तू जगदीश
(भक्ति गीत)
भक्त बुलाये दौड़े आये मेरे कृष्ण की रीति ,
धन दौलत काम न आये लगा कृष्ण से प्रीति ||
रे मनवा भज ले तू जगदीश,
भज ले तू जगदीश,
रे मनवा भज ले तू जगदीश || टेक||
राम के भक्त रहीम के बन्दे ,
जग में होते न्यारे |
राह चले सत्कर्मों की ,
प्रभु ही पार उतारे ||
मोह माया से हट कर ,
पकड़ राह भव ईश,
रे मनवा भज ले तू जगदीश ||1||
उत्तम कर्म से नर तन पाया,
विषय भोग में क्यों लगाया |
तन धन क्षणिक है माया,
उसमें सारा समय गंवाया ||
पल दो पल का वक्त मिलाकर,
शरण पड़ो जगदीश ,
रे मनवा भज ले तू जगदीश ||2||
डॉ पी सी बिसेन
मोती नगर बालाघाट
मध्यप्रदेश