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20 Oct 2020 · 1 min read

— भगवा रुप यह कैसा स्वरुप —

डाल के चोला गहुआ रंग का
बन के लो चल दिए सन्यासी
न जाने किस डगर पर जाना
कहते हैं हम हैं मथुरा वासी

पाखण्ड सा रूप धर के
दुनिया में लगे डंका बजाने
कैसे करें ऐसे लोगों पर विश्वाश
जिन के पैंतरों में दुनिया फसे

अपने झूठ छुपा कर
अपनी पहचान छुपा कर
दर दर जाते बन भिखारी
कैसे कहूँ यह हैं लाचारी

असली भगवा धारी कभी न मांगे भीख
वो तो दे जाते हैं सब को एक सीख
इज्जत उनकी तभी तो होती जग में
उनकी ही होती है संसार में जीत

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 397 Views
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