भगवान सर्वव्यापी हैं ।
कौन कहता है की ,
भगवान नहीं है ।
भगवान है, हर कहीं है ।
हमारे प्राणों में ,इस पृथ्वी के कण कण में ,
समस्त प्राणियों में ,
इस प्रकृति में भगवान है ।
कौन कहता है की ,
भगवान कुछ नहीं करते हमारे लिए ,
इस जगत के लिए ,
हमको और इस जगत को,
वही तो चला रहे हैं।
यह पृथ्वी किसके इशारे पर घूम रही है ,
यह चांद सूरज किसके इशारे पर ,
उगते और ढलते हैं,चमकते हैं।
सिर्फ भगवान के इशारे पर ।
फिर मानव क्यों शिकायत करता है ,
भगवान कुछ नहीं करते ।
मानव के वर्तमान कर्मों और पूर्व कर्मों ,
के हिसाब से ही भगवान उसके लिए ,
सब कुछ करते हैं।
उसके बावजूद भी भगवान ,
प्रेरणा देते हैं,
सुमार्ग पर चलने की ,
शक्ति देते है ,
हालातों से लड़ने की ।
हिम्मत देते हैं ,
गिरकर संभालने की ,
लाख गुनाह करने पर भी ,
क्षमा भी कर देते हैं।
मानव को संभलने का ,
सुअवसर देते रहते हैं।
८४ योनियों के बाद मनुष्य जन्म,
दिया
यह क्या कम है !
मत कहो ! भगवान नहीं है ।
भगवान है तो हम हैं ।
भगवान नहीं तो हम भी नहीं।
भगवान सर्व व्यापी है ,
हमारे भीतर है ,
एक बार अपने अंतर्मन में ,
झांक के तो देख ,
भगवान जरूर मिलेंगे ।
भगवान अवश्य हैं ।