#सवैया छंद
सवैया छंद की परिभाषा और उदाहरण
#सवैया छंद
सवैया छंद में चार पद होते हैं। इसके प्रत्येक पद में बाईस से छब्बीस वर्ण या अक्षर होते हैं। ये कई प्रकार के होते हैं; जिनकी अलग-अलग संज्ञा होती है। सवैया छंद में एक ही गण को बार-बार आना चाहिए; अगर इसका पालन नहीं होता है तब भी वह सवैया ही कहलाएगा। हिंदी साहित्य में अनेक कवियों ने सवैया छंद लिखे हैं। इनमें रसखान कृष्ण भक्ति के मार्मिक सवैया छंद लेखन में विशेष स्थान रखते हैं।
#मत्तगयंग सवैया
इसके प्रत्येक चरण में तेईस अक्षर या वर्ण होते हैं ;जिनमें सात भगण और गुरू आते हैं।
भगण=SII
गुरू=S
SII×7+S
उदाहरण – मत्तगयंग सवैया
SII/SII/SII/SII/SII/SII/SII/S
या
211/211/211/211/211/211/211/2
राम सदा करता सबके मनभावन पूर्ण सजे सपने रे।
नाम रटो मन से भजके सच हों सब चाह भरे सपने रे।
प्रेम जगा मन में करले उसका तप हार नहीं सपने रे।
जीत सदा रहती मन में बसके बस योग मिला अपने रे।
#आर.एस. ‘प्रीतम’