Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2021 · 1 min read

भगवानक जाति

भगवानक जाति

ब्रह्मा विष्णु महेश के
कोई जाति नै।

इन्द्र वरुण पवन के
कोई जाति नै।

अग्नि सूर्य चंद्र के
कोई जाति नै।

यमराज विश्वकर्मा गणेश के
कोई जाति नै।

राम कृष्ण परशुराम के
कोई जाति हैय।

ईश्वर देव सुर के
कोई जाति नै।

भगवान मनुष अवतारी के
कोई जाति हैय।

अपन हर जाति के
कोई भगवान हैय।

जै जातिक भगवान नै
रामा वो कंगाल हैय।

स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।

रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Maithili
296 Views

You may also like these posts

मई दिवस
मई दिवस
Neeraj Agarwal
हरदा अग्नि कांड
हरदा अग्नि कांड
GOVIND UIKEY
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
Sandeep Kumar
हिलमिल
हिलमिल
Dr.Archannaa Mishraa
۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔غزل۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔
۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔غزل۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔
Dr fauzia Naseem shad
बेरोजगार
बेरोजगार
Harminder Kaur
जनता कर्फ्यू
जनता कर्फ्यू
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल : इन आँधियों के गाँव में तूफ़ान कौन है
ग़ज़ल : इन आँधियों के गाँव में तूफ़ान कौन है
Nakul Kumar
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
"सच का टुकड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
मतदान
मतदान
Shutisha Rajput
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
Sunita Gupta
कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के...। पेज न.2000
कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के...। पेज न.2000
Priya princess panwar
जाल हऽ दुनिया
जाल हऽ दुनिया
आकाश महेशपुरी
इबादत!
इबादत!
Pradeep Shoree
"दावतें" छोड़ चुके हैं,
*प्रणय*
नज़्म
नज़्म
Shiva Awasthi
कुंडलिया. . .
कुंडलिया. . .
sushil sarna
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
कितने सावन बीत गए.. (सैनिक की पत्नी की मीठी मनुहार)
पं अंजू पांडेय अश्रु
समर्पण*
समर्पण*
Jyoti Roshni
मृत्यु ही एक सच
मृत्यु ही एक सच
goutam shaw
दिल-ए-मज़बूर ।
दिल-ए-मज़बूर ।
Yash Tanha Shayar Hu
मुझे ना पसंद है*
मुझे ना पसंद है*
Madhu Shah
सत्य का पथ
सत्य का पथ
ललकार भारद्वाज
लिमवा के पेड़ पर,
लिमवा के पेड़ पर,
TAMANNA BILASPURI
बुली
बुली
Shashi Mahajan
सावण तीज
सावण तीज
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
Ravi Prakash
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...