भगत सिंह तुम्हे फिर से आना होगा,
भगत सिंह तुम्हे फिर से आना होगा,
आज़ादी का बिगुल फिर बजाना होगा।।
अब बात नही बनेगी तुम से अकेले,
राजगुरु सुखदेव को संग लाना होगा ।।
अंग्रेजो से तो तुम आज़ाद करा गये,
घर के गद्दारों से मुक्ति दिलाना होगा ।।
कई अत्याचारी सांडर्स पैदा हो गये
तुम्हे आकर फिर सबक सिखाना होगा ।।
सियासी जंजीरों में जकड़ी भारत माता,
आकर इसको फिर आज़ाद कराना होगा
ग़ुलामी की बू में रम गये है सब के सब
मतलब आज़ादी का समझाना होगा ।।
भूल गये जो वतन परस्ती उन्हें याद कराने,
धरती पे “आज़ाद” को फिर से लाना होगा ।।
आत्म विश्वाश खो रहा है सेना का मन रो रहा है।
जोश फिर वही जगाने वीर सुभाष बुलाना होगा।
धर्म नही है देश से बढ़कर ये समझाने को,
बिस्मिल-अशफाक का पुनर्जन्म कराना होगा।
सत्ता सब पर हावी है संकट देश में भारी है।
इस बीमारी से लड़ने बाबा साहेब बुलाना होगा ।।
सब चल निकले है झूठ व बेईमानी की राह पर
सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाने गांधी को आना होगा।।
गूंगी जनता बहरे नेता अंधा सिस्टम है लाचार
मनमानी पर इनकी तुम्हे लगाम लगाना होगा।।
संसद बन गयी है अब गुनेह्गारो का अड्डा ।
वक्त रहते लोकतंत्र के मंदिर को बचाना होगा ।।
लफ्जो की भाषा जिनके कानो तक न पहुंचे
उनको आवाज धमाके की सुनाना होगा।
कैसे जीती जाती है जंग आज़ादी की
तुम्हे असेम्बली में आकर बताना होगा ।।
एक बार फिर से आ जाओ वीर सपूतो
अब तुन्हें हौसला धर्म का बढ़ाना होगा ।।
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डी के निवातिया –