भक्त हूं वीर हनुमान का
कविता :- 11(37)
-: भक्त हूं वीर हनुमान का । :-
भूख है ज्ञान का ,
परवाह है न जान का ।
राह रोशन है , चिंता है ना मान और सम्मान का ,
हमेशा खुश रहता हूं , क्योंकि मैं भक्त हूं वीर हनुमान का ।।
नशा है न कनक , धतूरा, पान का ,
भूखा हूं मंगल गान का ।
कैसे वर्णन करूं भगवान का ,
बड़ी सुख-सुविधा मिलती , सिर्फ जपता हूं
राम भक्त नाम हनुमान का ।।
सहायक हूं जवान का ,
दर्द जानता हूं मजदूर किसान का ।
हवा में रहता हूं, पर डर रखता हूं तूफान का ,
समंदर की तरह अपने आप में बहता हूं
क्योंकि मैं सेवक हूं वीर पुत्र हनुमान का ।।
इंतजार रखता हूं न संतान का ,
पत्नी तक स्वार्थी होती , धन – दौलत क्या करूंगा
आवश्यकता है मुझे दो मुट्ठी धान का ,
और नश्वरता की प्राण का ,
जब तक मैं जिंदा रहूं , तब तक जपते रहूं नाम
वीर हनुमान का ।।
* ® ✍️ रोशन कुमार झा ??
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता भारत
मो :- 6290640716 कविता :- 11(37) पर 11(037)
02-04-2019 मंगलवार 12:47 (Intex :-1)
12 बाद मंगलवार व्रत कर रहे हैं राकेश भईया फैक्ट्री से
मां का किये रहें । Intex से
आज कविता :- 16(43) मंगलवार 26-05-2020