भई बहन का राखी पर संवाद …
सिर पर नहीं है आज पिता का हाथ
सिर पर नहीं है आज पिता का हाथ
जानती हूँ छूट गया है उनका साथ ,
पर तुम में पाऊँ मैं वही बात
दे दूँ तुमको वही सम्मान
इस राखी यही माँगती हूँ
महकता रहे चहकता रहे
भाई बहन का प्यार दिन रात !
हर पल हर क्षण ना सही
कभी कभी करना ज़रूर संभाल
बहनों का भी पूछते रहना हाल !
उस बरगद के पेड़ सम ना सही
उसका हिस्सा समझ हम पर
हमेशा रखना अपनी छाँव ,
हर मुश्किल में आ ना सको
तो कम से कम इतना करना
बातों से मनोबल बढाये रखना
हर त्योहार पर
करते थे वो याद जैसे
उतना ना सही पर
ज़रा ज़रा सा ध्यान हमारा तुम रखते रहना !
सिर पर नहीं है आज उनका हाथ
जानता हूँ छूट गया है उनका साथ
पर बहना मेरी घबराना मत
खड़ा मिलूँगा वहीं जहाँ ढूँढती थी उनको
राह देखूँगा मैं भी वैसे जैसे वो देखा करते थे
अडिग अटल सा उनके सम
दूँगा साथ हमेशा हर दम
मुश्किल में तुम्हारा स्तम्भ बनूँगा हर क़दम
बहना तुम घबराना मत …
कहाँ कब कैसे और क्यूँ शायद हर वक़्त ना पूछूँगा
पर मानो मेरी बात हर पल तुम्हारा ध्यान रखूँगा
तुम भी देना साथ मेरा
समझना मुझको उन समान
जितना उनका रखती थी
रखना मेरा भी उतना ध्यान
बहना तुम घबराना मत !!!