ब्रिटेन में एक महिला ने एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया, इनमें जुड़वा भी
जी हां पाठकों मेरा प्रणाम । कैसे हैं आप सब ?एक नयी जानकारी से अवगत कराने फिर उपस्थित हूं ।
मेडिकल के इतिहास में एक अनोखा मामला; ब्रिटेन में एक महिला ने सामान्य गर्भधारण और आईवीएफ तकनीक से एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया, इनमें जुड़वा भी शामिल
विशेषज्ञ बोले- यह अनोखा चमत्कार है, सामान्य और आईवीएफ के भ्रुण एक साथ विकसित होने के कारण ऐसा हुआ है ।
फर्टिलिटी विशेषज्ञ ने कहा- मामला रेयर, पहली बार सामने आया – चेल्सी में पिछले २५ वर्षों से फर्टिलिटी एक्सपर्ट के रूप में कार्य कर रहीं, एम्मा कैनन का कथन है कि बीटा का मामला सचमुच रेयर है । इतने वर्षों में ऐसा मामला मेरे सामने पहली बार सामने आया है कि आईवीएफ पद्धति से इलाज के दौरान सामान्य भ्रुण भी विकसित होते रहे हों । वैसे तो आईवीएफ पद्धति चक्र के साथ सामान्य भ्रुण यानी दोनों एक साथ विकसित नहीं होते हैं । बीटा पहले ही गर्भधारण कर चुकी थीं और उसके बाद आईवीएफ पद्धति से दोबारा गर्भधारण कराया गया है, ” ऐसे मामले को हम मिरेकल ही कह सकते हैं ।
मेडिकल इतिहास में इसे अनोखा मामला कहा जा सकता है । एक महिला ने एक साथ तीन बच्चियों को जन्म दिया । इसमें दो जुड़वां पैदा हुईं और तीसरी आईवीएफ तकनीक पद्धति से हुई । इसमें आश्चर्यजनक बात यह है कि एक ही समय में सामान्य गर्भधारण से पैदा होने वाली जुड़वा बच्चियों के साथ ही आईवीएफ पद्धति से विकसित बच्ची ने भी जन्म लिया । मेडिकल इतिहास में अभी तक ऐसा मामला सामने नहीं आया है ।
पोलैंड की बीटा बेनियास, जिनकी आयु ३६ वर्ष है और उनके पति पॉवेल की आयु ४० वर्ष है, एक साथ तीन बच्चियों के जन्म होने पर कहा- ” यह एक अनोखे चमत्कार से कम नहीं है” । इतने सालों तक उन्होंने इस बेमिसाल खुशी का इंतजार किया है । अब ये “पति-पत्नी घर में किलकारियां सुनने के लिए बेताब हो रहे हैं ” । बीटा और पॉवेल ७ वर्षोंं से बच्चा पाने की ख्वाहिश में तमाम कोशिशों के पश्चात जब वे नाउम्मीद हो गए, तो वे फर्टिलिटी क्लिनिक गए । वहां उन्हें बताया गया कि वे बच्चे को जन्म दे सकतें हैं और यह भी बताया कि बीटा की बच्चेदानी में समस्या है और उनका वजन जरूरत से ज्यादा है । डॉक्टर ने बीटा को वजन कम करने की सलाह दी और बताया कि तभी वह मां बन सकती है । डॉक्टर की सलाह को आधार मानकर बीटा ने ३० किलोग्राम वजन कम भी कर लिया ।
इसके बाद शुरू हुई आईवीएफ पद्धति से मां बनने की कहानी
बीटा ने यह पुष्टि की, ” उस वक्त वो बहुत भावुक हो गईं थी, जब पहली बार उसकी कोख में अंडे को डाला गया था” । इस समयावधि में डॉक्टरों ने बीटा को कई तरह के परहेज बताएं । इसमें इलाज के दौरान आपसी संबंध नहीं बनाने के अलावा १४ दिन बीतने तक गर्भ परीक्षण नहीं करने की भी सलाह दी गई थी । लेकिन बीटा इंतजार नहीं कर सकी, और ९वे दिन ही घर पर टेस्ट कर लिया और गर्भवती होने की खुशी में फूली नहीं समा रही थी, आखिरकार मां जो बनने वाली थी ।
यह समय भी बीतता गया, इसी बीच बीटा और पॉवेल पहली बार सोनोग्राफी कराने हेतु गए , तब उनको मालूम चला कि गर्भ में तीन बच्चे रहें हैं । डॉक्टरों द्वारा यह बताया गया कि इनमें से दो सामान्य रूप से जन्म लेने वाले और तीसरा बच्चा आईवीएफ पद्धति से विकसित हो रहा है ।
आखिरकार वह दिन आ ही गया, जब तीनों बच्चों ने बीटा की कोख से कुशलपर्वक जन्म ले लिया । जब बीटा और पॉवेल को पता चला कि “तीनों ही बेटियां हैं”, तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं था और बीटा को मानों ऐसा लगा कि “हमनें जिंदगी में सब कुछ पा लिया है” ।
तो पाठकों फिर देखा आपने मां बनने की खुशी एक औरत की जिंदगी में क्या मायने रखती है, जिसके बलबूते पर वह सब कुछ सहन करने को सदैव तैयार रहती है और एक महत्वपूर्ण बात यह है कि बीटा और पॉवेल ने तीनों बेटियों को सहर्ष स्वीकार करते हुए खुशी-खुशी उनके नव-जीवन का प्रफुल्लित हो कर स्वागत किया। ।
समस्त पाठकों कैसा लगा मेरा लेख, अपनी आख्या के माध्यम से बताइएगा ज़रूर ।
धन्यवाद आपका ।