युद्ध
होने को शुद्ध
कर रहे युद्ध
मानवता त्याग कर
बन रहे बुद्ध
पशुवत व्यवहार कर
बनते प्रबुद्ध
चीत्कार कर रही
प्रकृति है क्रुद्ध,
गले लगाते सामने
भीतर सब के विरुद्ध ||
होने को शुद्ध
कर रहे युद्ध
मानवता त्याग कर
बन रहे बुद्ध
पशुवत व्यवहार कर
बनते प्रबुद्ध
चीत्कार कर रही
प्रकृति है क्रुद्ध,
गले लगाते सामने
भीतर सब के विरुद्ध ||