*बोल*
किसी को मीठे किसी को कड़वे।
किसी को तीखे लगते बोल।
बोलने वाला सोचकर बोले।
लगे सभी को दूर के ढोल।।१।।
कुछ अच्छे हैं कुछ बुरे,
कुछ होते दोनों के घोल।
सुनने वाला चुन ले उसको,
जो प्रिय लगते हैं बोल।।२।।
इतना मीठा कभी ना बोलो।
बातों में मिश्री ना खोलो।
बड़ों की बातें बुरा न मानो।
सही होती है यह तुम जानो।।३।।
बोलने की हो बात निराली।
बोलो ऐसे ना लगे हो गाली।
पहले बात को मन में तोल।
तभी बाहर निकालो बोल।।४।।
दुष्यन्त कुमार की पढ़ लो रचना।
क्यों चाहते हो इससे बचना।
ले लो तुम वाणी का सार।
बोलो ऐसे करें सब प्यार।।५।।