बोलो तुम्हें किसने बुलाया है??
14.07.16
क्यूँ आज समन्दर आया है
सहरा सहरा हम तो थे अब
नयनों ने क्यूँ तुम्हें बुलाया है,,,
लम्हे लम्हे जिन्दा थे हम
क्षण क्षण ने अब डराया है,
साथ जरूरी था जो बेहद
उसने ही यूँ बिसराया है,
आस निरर्थक जागी थीं क्यूँ
ख़ास किसी अपने से अबभी
आज भरी महफ़िल में देखो
अकेला खुद को पाया है,,
क्यूँ आज समन्दर आया है
सहरा सहरा हम तो थे अब
नयनों ने क्यूँ तुम्हें बुलाया है..
***शुचि(भवि)***