बोलो!… क्या मैं बोलूं…
बोलो…..
मैं क्या बोलूं!!……
जो तुम कहो
मैं आज उसे
अपने शब्दों में तौल दूँ
बोलो क्या मैं बोलूं
नि:शब्द मन मेरा
नीरव पथ मेरा
कुछ तुम्हारा
कुछ मेरा
अर्जित
शब्द कोश
कहो तो
वही खोल दूँ
बोलो…..
क्या मैं बोलूं!!…..
ख़ामोश तेरी नज़र
ख़ामोश मन का शज़र
उल्फत में सितम सा
ढ़ा रहा ख़ामोश मंजर
कहो तो कुछ रव मोल दूँ
बोलो…….
क्या मैं बोलूं!!…
नहीं लय में बने बंदिश
मन-शब्दों में होती रंजिश
जी चाहे
तुझे रब समझूं
इबादत में तुझे पढ़ूं
कहो तो कुछ इबारत
तेरी परस्तिश में घोल दूँ
बोलो…..
क्या मैं बोलूं!!….
जो तू कहे
आज वही
शब्द मैं बोल दूँ….
संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर ( राज.)