– बेहिसाब मोहब्बत –
– बेहिसाब मोहब्बत –
मोहब्बत का कोई हिसाब नही होता,
न कम न ज्यादा आकलन नही होता,
मोहब्बत तो सिर्फ मोहब्बत होती है,
उसमे न कोई फरेब न ही कोई द्वेष भाव होता,
मोहब्बत की एक अलग ही मिट्टी होती है,
मोहब्बत करने वाले उसी मिट्टी के बने होते है,
होती है अनमोल मोहब्बत,
मोहब्बत का कोई मोल नही होता,
मोहब्बत को तोलने वाले पैसों के तराजू पर,
बेहिसाब होती है मोहब्बत ,
मोहब्बत का कोई मोल नही होता,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान