बेवफ़ा ज़िंदगी से //ग़ज़ल//
क्यों खफ़ा-खफ़ा सी हो बात क्या है
झुकी-झुकी सी नज़रे हैं राज क्या हैं
अश्क नैनों के अच्छे लगते नहीं
यारा बेचैन दिल की चाह क्या है
पिया नाम की मेहंदी लगाई बैठी हो
खामोश लब पर दबी नाम क्या है
मन नभ पर हलचल,चेहरा खामोश है
चारोंओर गर्दिश ये स्याह रात क्या है
उजड़ चुकी देख चाहत की दुनिया
बेवफ़ा ज़िंदगी से तुम्हें आस क्या है
कवि :-दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”