बेवजह तो कुछ भी नहीं
बेवजह तो कुछ भी नहीं
आंसू भी नहीं
मुस्कुराहट भी नहीं ।
बेवजह तो ये
जिंदगी भी नहीं ।
धूप भी नहीं ,
छांव भी नहीं ।
बेवजह तो होती कभी
बरसात भी नहीं ।
बेवजह तो कुछ भी नहीं
आस भी नहीं , सांस भी नहीं
बेवजह तो होती कभी
मौत भी नहीं ।
✍️समीर कुमार “कन्हैया”