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14 Sep 2018 · 1 min read

बेलौस जिंदगी

बेलौस जिन्दगी
उन दिनों की याद सँजोये सीने में।
घुट घुट कर पल काट रहे हैं पीने में।
वे दिन भी क्या दिन थे
जब तुम हमसे दूर न थे।
पलकों से पीया करते थे
यूँ घूँट भरने को मजबूर न थे।
वो दिन,हाय, बहारों के जन्नत।
वादे और कसमें, मनुहार औ मन्नत।
जीने की तमन्ना, जिंदगी के हसीं ख़्वाब।
खुशियों के पल वे कितने थे लाजवाब ।
कुछ पता न चला, बरसों का सफर
घड़ियों में कैसे बीता।
पल-पल याद है आती,
बिन तुम,यह जीवन रीता-रीता।
बेदर्दी वक्त और एक मोड़ पे,
तुम हमसे मुँह मोड़ गए।
दमन-ए-मोहब्बत में बस यादें छोड़ गए।
पागल पथिक की तो पाँव ही छीन गई
अब क्या रखा,अधूरी जिंदगी जीने में।
बस काट लेंगे बाकी दिन भी
यूँ ही,चलते चलते पीने में।
-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
2 Likes · 527 Views
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