“बेरोजगार या दलालों का व्यापार”
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बेरोजगार या दलालों का व्यापार
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सतद्वीपों की मैं इकलौती ज्ञानी बेरोज़गार
अड़ी हूँ हठ कर, सुनले चौकीदार!
काला अक्षर भैंस बराबर भले देख डर जाती हूँ
न किया कभी प्रयास
लेकिन, सपना जज कलक्टर
या बनवा दो मुख्यमंत्री बिहार।
चच्चा -पप्पा काम न आये न पूछा परिवार
गोद लिया है टोंटी वाला
साथ खड़ा है खुजलीवाल,
अब मान लो सारी शर्तें मेरी
बरना भाँट मैं बन जाऊँगी
हिल जाएगी कुर्सी तेरी ऐसे गीत मैं गा दूँगी।
का बा का बा रटते-रटते हो गयी हूँ लाचार
मैं बेचारी बूढ़ी हो गयी बित गये पूरे चार
पुनः चुनाव सिर चढ़ आइ
फिर भी डरी नहीं सरकार
सतद्वीपों की मैं इकलौती सोंच-सोंच परेशान
ढूँढूँ कौन नया हथियार ॥
स्वरचित
मुक्ता रश्मि (बिहार)