बेबस कर दिया
बेबस कर दिया उसने करके प्यार।
दिन भर करें हम उसका इंतजार।
सारा दिन हम सोचे , मिल जाए वो
दिन भर तरसे जिया, हो जाए दीदार।
कहीं न लागे मन ,कुछ न सोच पाए
एक नज़र तकने को,दिल है बेकरार।
ये इश्क़ भी कितनी बुरी शै है ऐ खुदा
आग के दरिया में,डूब मरने को तैयार।
इतनी बेरुखी भी अच्छी नहीं होती
ख़िजा के बाद तो आयेगी बहार।
सुरिंदर कौर