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3 Apr 2024 · 1 min read

“बेड़ियाँ”

“बेड़ियाँ”
हरे दरख्तों को काट कर
जंगल-झाड़ियाँ उजाड़ कर
खड़े कर रहे जो
आसमान छूती हवेलियाँ,
जाने-अनजाने में वे ही
अपने पाँवों में
आज डाल रहे हैं बेड़ियाँ।

3 Likes · 3 Comments · 109 Views
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