बेटी
आधार छंद -शक्ति_छंद
१२२ १२२ १२२ १२
विधान – १८ मात्राओं के चार चरण
अंत में वाचिक भार १२ होता है
१ , ६ , ११,१६ वीं मात्रा पर लघु १ अनिवार्य
अहो भाग्य बेटी हमें जो मिली।
लगी देर लेकिन दुआएँ फली।
गगन से उतर एक आई परी,
मृदुल पुष्प-सी एक नन्हीं कली।
पुलकने लगा हर सिरा अंग का,
हमारे हृदय की कली अब खिली।
बजें कान में शोख शहनाइयाँ,
महकने लगी जिन्दगी की गली।
नशीली अदा शोखियों से भरी,
गुणों से भरी है सभी से भली।
लगा घर सँवरने महक इत्र सा ,
सुगंधित हवा हर दिशा में घुली।
सदा खुशनुमा-सी बड़ी साहसी,
बहुत नाज से गोद में है पली।
जया चंचला भगवती भाविनी,
सभी मर्ज की है दवा लाड़ली।
खुशी के सितारे झरे आँगना,
हमें देख कर अब पडोसन जली ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली