बेटी
बहुत पढ़ा ली बेटी अबतो,
बेटों पर भी ध्यान दो।
मानवता का पाठ पढ़ाओ, उन्हें भी संस्कार दो।
ताण्डव शिव का जग प्रसिद्ध है,
माँ काली का विकराल रूप।
शिव को भी झुकना पड़ा था,मातृ शक्ति को पहचान लो।
कोख़ में बेटी मार रहे हो,बच जाए तो नोच रहे हो।
विकृत मर्दों की सोच को,फाँसी का अंजाम दो।
शोषित करना,अपमानित करना।
यही तुम्हारा असली रूप।
ख़ुद की मर्ज़ी कुछ भी कर लो,नारी की सीमाएं हैं।
अपनी स्वतंत्रता को देखो,दरिंदगी को लगाम दो।
प्रिया