“बेटी”
“बेटी”
बेटी कुँवारी हो तो
बोझ बन जाती है,
ससुराल से आये तो
मेहमान कहलाती है,
कब, कहाँ कोई बेटी
अपने माता-पिता की
बेटी बन पाती है?
“बेटी”
बेटी कुँवारी हो तो
बोझ बन जाती है,
ससुराल से आये तो
मेहमान कहलाती है,
कब, कहाँ कोई बेटी
अपने माता-पिता की
बेटी बन पाती है?