बेटी
अब बात नहीं रही है वो ,जो पुराने लोग समझते थे।
बड़े अजीब थे लोग ,जो बेटी को बोझ समझते थे।।
वक्त बदला , लोग बदले , जमाना बदला।
पर कुछ लोगो का रवैया न पुराना बदला।
लड़कियां किसी से अब कम नहीं रही हैं,
लड़की के जन्म को ,कुछ लोग दोष समझते थे।
बड़े अजीब थे लोग ,जो बेटी को बोझ समझते थे।
धरती से लेकर आसमान को, एक किया है बेटी
ने।
कठिन ही नही कठिनतम कार्य ,अनेक किया है बेटी ने।
बेटी की चैतन्यता को भी ,कुछ बेहोश समझते थे।
बड़े अजीब थे लोग ,जो बेटी को बोझ समझते थे।
कौन क्षेत्र है भारत में ,जिसमे न बेटी काबिज़ है।
पुराने ढर्रे पर चले ही क्यों, उसकी सोच भी वाजिब है।
कुछ लोग ऐसे भी थे , जो बेटी को ओज समझते थे।
बड़े अजीब थे लोग ,जो बेटी को बोझ समझते थे।।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी