Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2017 · 2 min read

नारी-शक्ति के प्रतीक हैं दुर्गा के नौ रूप

ग्रीष्म ऋतु में चैत्रमास की अमावस्या के दूसरे दिन प्रारंभ होकर नौ दिन तक मनाए जाने वाले व्रत नवरात्र नवदुर्गा अर्थात न्यौरता में नारी-शक्ति की उपवास रखकर पूजा-अर्चना की जाती है। नारी यदि सुन्दरता की अद्भुत मूर्ति मानी गयी है तो इसी नारी ने समय-समय पर रणचंडी का वेश धारण कर असुरों-पापियों-दैत्यों का विनाश भी किया है।
जिस समय देवासुर संग्राम दौरान राक्षसों द्वारा बार-बार युद्ध में पराजित देवता अत्यंत दुखी और भयभीत थे। यहां तक कि दैत्यराज शम्भु-निशम्भु या महिषासुर ने भारी प्रहार कर देवराज इन्द्र तथा अन्य देवताओं को स्वर्ग से बाहर कर दिया तो समस्त देवता अपने प्राणों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु, देवताओं के देव शिव और जगत के पालनहार ब्रह्मा से इस विपत्ति से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करने लगे। समस्या के हल के लिए देवताओं ने एक प्रकाशपुंज को प्रकट किया। इस प्रकाशपुंज ने नारी शक्ति के रूप में देवी भगवती दुर्गा का स्वरूप धारण किया। दैत्यराज शम्भु-निशम्भु और महिषासुर के विनाश के लिए देवताओं ने इस स्वरूप की स्तुति की और अपने-अपने अमोध अस्त्र-शस्त्र प्रदान कर महारूप योगमाया भगवती से दैत्यराजों के वध के लिए प्रार्थना की। योगमाया भगवती दुर्गा ने दैत्यों का वध करने के लिए अकेले ही प्रस्थान किया। दैत्यों का मां भगवती दुर्गा से नौ दिन भयंकर युद्ध हुआ। इन नौ दिनों में असुरों के वरद शक्ति के रूप को नष्ट करने के लिए मां भगवती ने अपने ही नौ प्रतिरूप युद्ध क्षेत्रा में खड़े किये। इन प्रतिरूपों में जयंती, मंगलाकाली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री स्वाहा, सुधा ने अपने अस्त्रा-शस्त्रों के प्रहार से दैत्यों में हाहाकार उत्पन्न कर दिया। नौ दिन के इस संग्राम में शम्भु-निशम्भु और महिषासुर का तो वध हुआ ही, इनके साथ-साथ रक्तबीज, धूमकेतु और अनेक दैत्य भी धराशायी हो गये। दैत्यों के वधोपरांत समस्त ब्रह्मलोक में शांति की स्थापना हो गयी। देवताओं को अपना खोया हुआ स्वर्गलोक वापस मिल गया।
नारी शक्ति की इस महिमा के आराधन-पूजन के लिए चैत्रमास में लगातार रखे जाने वाले निराहार व्रत के दिनों में आदि शक्ति देवी दुर्गे, भवानी, जगदम्बा की पूजा द्वितीया के दिन की जाती है। चैत्र शुक्ल तृतीया को सुहागिन स्त्रियां व्रत रख मां पार्वती से अपने सुहाग की रक्षा की कामना करती हैं। चतुर्थी को गणपति की पूजा कर विघ्न विनाशों को समाप्त करने की कामना की जाती है। अष्टमी के दिन अशोक वृक्ष का पूजन होता है। यह माना जाता है कि इसी दिन हनुमानजी ने लंका में अशोक वाटिका पहुंचकर सीताजी को भगवान राम का संदेश व अंगूठी दी थी।
चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को रामनवमी भी कहा जाता है। इसी तिथि को मर्यादा पुरूषोत्तम राम का महारानी कौशल्या की कोख से जन्म हुआ था। इस दिन भगवान श्रीराम, रामायण आदि की पूजा की जाती है।
——————————————————-
संपर्क-15/109 ईसानगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
832 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"जो डर गया, समझो मर गया।"
*Author प्रणय प्रभात*
कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी
कोई नहीं करता है अब बुराई मेरी
gurudeenverma198
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
3320.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3320.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
संत हृदय से मिले हो कभी
संत हृदय से मिले हो कभी
Damini Narayan Singh
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
Pankaj Sen
गाँव से चलकर पैदल आ जाना,
गाँव से चलकर पैदल आ जाना,
Anand Kumar
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
Vijay Nagar
पेंशन
पेंशन
Sanjay ' शून्य'
"चुम्बकीय शक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐ वतन....
ऐ वतन....
Anis Shah
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
*धूम मची है दुनिया-भर में, जन्मभूमि श्री राम की (गीत)*
*धूम मची है दुनिया-भर में, जन्मभूमि श्री राम की (गीत)*
Ravi Prakash
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
सासूमां का मिजाज
सासूमां का मिजाज
Seema gupta,Alwar
13. पुष्पों की क्यारी
13. पुष्पों की क्यारी
Rajeev Dutta
" अंधेरी रातें "
Yogendra Chaturwedi
When we constantly search outside of ourselves for fulfillme
When we constantly search outside of ourselves for fulfillme
Manisha Manjari
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
***
*** " पापा जी उन्हें भी कुछ समझाओ न...! " ***
VEDANTA PATEL
हिद्दत-ए-नज़र
हिद्दत-ए-नज़र
Shyam Sundar Subramanian
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
थम जाने दे तूफान जिंदगी के
थम जाने दे तूफान जिंदगी के
कवि दीपक बवेजा
दोहे- चार क़दम
दोहे- चार क़दम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
|| तेवरी ||
|| तेवरी ||
कवि रमेशराज
कैसे कांटे हो तुम
कैसे कांटे हो तुम
Basant Bhagawan Roy
दीप शिखा सी जले जिंदगी
दीप शिखा सी जले जिंदगी
Suryakant Dwivedi
अगर न बने नये रिश्ते ,
अगर न बने नये रिश्ते ,
शेखर सिंह
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
'अशांत' शेखर
Loading...