बेटी की शादी
पूर्णमासी हो गई
कन्यादान हो गई
तात रोया उम्रभर
बेटी विदा हो गई।
थे अचरज में सब
क्या कमाल हुआ
कहाँ से हुई कृपा
क्या धमाल हुआ।
सोचता रहा तात
क्या अजब है तू
बेटी भी देता है
दहेज भी देता है।
* सूर्यकान्त द्विवेदी
पूर्णमासी हो गई
कन्यादान हो गई
तात रोया उम्रभर
बेटी विदा हो गई।
थे अचरज में सब
क्या कमाल हुआ
कहाँ से हुई कृपा
क्या धमाल हुआ।
सोचता रहा तात
क्या अजब है तू
बेटी भी देता है
दहेज भी देता है।
* सूर्यकान्त द्विवेदी