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1 May 2018 · 1 min read

बेटी की शादी

पूर्णमासी हो गई
कन्यादान हो गई
तात रोया उम्रभर
बेटी विदा हो गई।
थे अचरज में सब
क्या कमाल हुआ
कहाँ से हुई कृपा
क्या धमाल हुआ।
सोचता रहा तात
क्या अजब है तू
बेटी भी देता है
दहेज भी देता है।

* सूर्यकान्त द्विवेदी

Language: Hindi
428 Views
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