बेटिया(कविता)
हमर घर दुआर प्रेम स्नेह,नितु बल सिचि बेटिया
सात जनम सौभाग्य हमर,आंगन नाचैय बेटिया
गूडि जेहन आखि ऐकर,मागै गुरिया प्यारी बेटिया
सबे जान छिड़कैत,डरैय माय आंचल छुपि बेटिया
रिश्तो कें प्यार दुलार,बान्हेवाली डोर मे बेटिया
ठिठोली बिसरैब कोना,जिबैत मरि जायैब बेटीया
पापाक प्यारी भायक दूलरि प्यारी हमर बेटिया
माय नैनन नोर तखन सखि बनि जाएत बेटिया।
माय ममता आंचल के सबसँ पावनकली बेटिया
सृष्टिक उत्पत्ति के पहिल बीया प्यारी बेटिया
दादा दादी कें कखनो चशमा बनी जाएत बेटिया
कखनो अप्पन इ आगन छोडि जाएत बेटिया
कनिया बनि ओतय आगन खिलखिलात बेटिया
पापाक प्यारी भायक दूलरि प्यारी हमर बेटिया
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य