बेटियां
“बेटियाँ”
मात्र कहने भर से सशक्तिकरण न हुआ न होगा।
बेटी की सुरक्षा का जिम्मा अब हमें उठाना ही होगा।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे से काम ना चलेगा।
कराटे का हुनर तो अब उन्हें सिखाना ही होगा।
नाजुक बनने से कुछ हासिल न होगा।
झांसी की रानी लक्ष्मी सी उन्हे बनना ही होगा।
जो हाथ रोटी सेंकते रहे हैं आज तक।
तलवार से वार उन्हें करना ही होगा।
पीटी उषा सी दौड़, मेरी कॉम सा पंच।
अनीता कुंडू सी बन परचम लहराना ही होगा।
सुनीता, कल्पना बन अंतरिक्ष में न सही।
पर इस दुनिया में अपना रुतबा दिखाना ही होगा।
सरोजिनी, प्रतिभा, सुषमा, इंद्रा और ममता सी बन।
राजनीति में उन्हें अब छाना ही होगा।
साइना, सानिया, साक्षी, कृष्णा और गीता सी बन।
खेलों में दम उन्हे अब दिखाना ही होगा।
किरण बेदी सी बनकर आईपीएस ऑफिसर।
पुलिस फोर्स में नाम उन्हें अब कमाना ही होगा।
बेटों से कम नहीं है अब ये नाजुक बेटियां।
बेटों से कदमताल मिला उन्हें अब बताना ही होगा।
मात्र कहने भर से सशक्तिकरण न हुआ न होगा।
बेटी की सुरक्षा का जिम्मा हमें उठाना ही होगा।
एम के कागदाना