‘बेटियाँ’
: बेटियाँ :
—————
ईश्वर् का वरदान
स्नेह का उपहार
संपूर्ण क़ुटुम्ब की अरदास
जीवन में ज़िंदगी बन आती है ;
‘’ बेटियाँ ‘’
चहकती है, चिड़ियों सी
होती नाज़ुक कलियों सी
भोली बातो में संवेदना सी
विपदाओं में हौसला सी
महक समेटतीं उपवन् सी
घर-आँगन महकाती है ;
‘’बेटियाँ ‘’
जीने का सर्वश्रेष्ठ ढंग
अपनत्व, ममत्व का स्नेहिल रंग
निडर, निर्भीक, साहस का सहज़ संग
माँ-पापा की नेमत, अज़मत , रहमत
हर घर का रौनक़ है ;
‘’ बेटियाँ ‘’
— विवेक मिश्रा