बेटियाँ
* बेटी है घर की शान,
* होने ना दो इसे तुम परेशान ,
* करने दो इसको जो चाहे ,
* बने डॉक्टर या पहलवान।
* पढ़ो पढ़ाओ बेटी के साथ,
* पढ़ें और बढ़े हमारे परिवार।
* एक नहीं अब दो दो परिवारों की बारी,
* मिटा देंगे जड़ से अज्ञानता अब सारी।
* बहू बनकर जिसे तुम लाते,
* सतरंगी सपने लेकर जो आती,
* कैसी ,कैसी बात सुनाते,
* किन कर्मों की सजा हो देते,
* बोले तो है बडबोली,
*चुप रहे तो सोती रहती,
* कुछ तो सोचो उसकी तुम भी,
* जिसे सच में तुम्हारी अपनी उम्र गॉवाही,
* कब जीवन वह अपना जी पाएगी,
* बाबुल के घर से निकली थी जब,
* दुआएं खूब मिली थी दिल से,
* मामा ,चाचा ,मौसी ,भैया,
* सबने कुछ ऐसा सोचा था,
* बिटिया को सुंदर संसार मिलेगा,
*ऐसा कब किसने सोचा था,
* गमों का माहौल बारो मास मिलेगा,
* प्रेम ही जीवन प्रेम ही तो है समापन ,
* प्रभु प्रेम में मिले जो सुख ,
* ऐसा सुंदर संसार कहां,
* व्यर्थ जीवन ना तुम गॉवाना,
* सांस नं नद का झंझट छोड़ो,
* परमपिता परमेश्वर से तुम नाता जोड़ो ,
* उनका सब जग जगमग दिखता,
* क्यों दुखों को गले लगाए,
* घड़ी घड़ी तुम प्रेम ही मांगो ,
* प्रभु तुम्हारे तैयार खड़े हैं।
* प्रेम के सागर में ,
* क्यों ना तुम गोते खाओ। ।
*बेटी है घर की शान। । पूूनम शर्मा