बेटियाँ
बेटियाँ
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चेहरे का नूर लबों की मुस्कान होती है बेटियाँ,
एक बाप के लिए सारा जहान होती है बेटियाँ !
सिर्फ जिम्मेदारी का बोझ नहीं ढोती बल्कि,
आत्मीय की सच्ची पहचान होती है बेटियाँ !
घर से विदा होकर भी माँ-बाप की फ़िक्र करे,
मरते दम बाप का अभिमान होती है बेटियाँ !
टूटते हुए हौसले को जो फिर से उड़ान देती है,
जिंदगी जीने के लिए अरमान होती है बेटियाँ !
रिश्तो की नाजुक डोर बनके जोड़ती घर को,
थोड़ी सी जिद्दी थोड़ी नादान होती है बेटियाँ !
चिडियो सी चहकती है फूलों सी महकती है,
कितनी प्यारी नन्ही सी जान होती है बेटियाँ !
जिसके जन्मते जिंदगी की रूपरेखा बनाने लगे,
ऐसे आदमी को अच्छा इंसान बनाती है बेटियाँ !
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स्वरचित : डी के निवातिया