–@ बेटियाँ @–
हमारे घर के लिए
परिंदों की तरह
बनकर आती हैं बेटियाँ
एक दिन उड़कर
बड़ी दूर चली जाती
हैं हमारी बेटियाँ
बनी जो परंपरा जग की
उस को निभाती हैं बेटियाँ
पापा के लिए हमेशां
परियां ही रहती हैं बेटियाँ
जाते जाते सारा माहौल
ग़मगीन कर जाती हैं बेटियाँ
बड़ा पत्थर दिल बन के पापा
विदा करता है प्यारी बेटियाँ
आँखों में वो विदाई
पल पल घुमा करती है
आंसूं की धार को समेट कर
बाबा विदा करते हैं बेटियाँ
पल भर के लिए दूर करना
कितना मुश्किल सा होता है
न जाने कौन सी शक्ति से
विधाता दूर कर देता है बेटियाँ
बस दिल से यह अरमान
दुआओं के साथ सदा निकले
जहाँ भी रहे , सुखी संसार रहे
दिल से क्या कभी जुदा
होती हैं बेटियाँ ?
अजीत कुमार तलवार
मेरठ