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18 Jan 2017 · 1 min read

“बेटियाँ पराया धन होती है ||”

“नन्हे-नन्हे क़दमों से
घुटनों के बल तेरा चलके आना
बैठ गोंद में मेरी फिर
चंचलता अपनी फैलाना ,

अपने नन्हे-नन्हे हाथो से
चेहरे पे थपकियाँ देना
कान पकड़ना ,नाक नोचना
और मीठी सी फिर झप्पी देना,

वो स्कूल में तेरा पहला दिन
छोड़ अकेले तुझको आना
दूर होने का वो पहला अहसास
और खुद को बेचैन सा पाना ,

बचपन इसी प्रक्रिया में लगा ढलने
फिर जीवन कुछ लगा बढ़ने
जीवन के बढ़ते एक-एक दिन
और चिंताओं का मेरी बढ़ना,

योग्य वर की तलाश में तेरे
दर-दर मेरा भटकना
फिर समय नजदीक वो आना
जब दूर तुझे है मुझसे जाना,

व्यस्त मेरा फिर हर पल होना
विवाहों के आयोजन में
ना कमी रहे खातिरदारी में कोई
तत्पर इसके लिए सदैव होना ,

पाला प्यार से अट्ठारह वर्षों तक
दिल से लगाके रखा जिसको
आज दूर उसे है मुझसे जाना
रोता हुआ वो उसका चेहरा,

अश्रु भरी वो उसकी पलके
वो स्नेह भरा आलिंगन उसका
कमजोर कर रहा था मुझको
आखों से ओझल होना उसका ,

सही कहा है किसी ने
की बेटियाँ पराया धन होती है ||”

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