बेगूसराय की हार–
बेगूसराय की हार हुई,
या प्रकृति की अदृश्य मार पड़ी ।
कभी जल से भरा था यह क्षेत्र,
आज बन गया क्षणिक इत्र,
हम कैसे हैं स्वार्थी मित्र,
मित्र हन्ता की अवतार हुई,
बेगूसराय की हार हुई,
या प्रकृति की अदृश्य मार पड़ी ।
विश्व का सबसे अनुपम झील,
खग मिलन स्थल कांवर झील,
आज न पक्षी, न जल दिखे मीलों मील,
यह कैसी उपहार हुई,
बेगूसराय की हार हुई,
या प्रकृति की अदृश्य मार पड़ी ।
कलरव करते असंख्य पक्षी,
द्रवित हृदय, पुलकित थी अक्षि,
हम रक्षक बन बैठे भक्षी,
कैसी यह कुंठित विचार हुई,
बेगूसराय की हार हुई,
या प्रकृति की अदृश्य मार पड़ी ।
प्रकृति संग हमने खिलवाड़ किया,
भील बन असंख्य जीवों का संहार किया,
उसकी छीन धरा, अपना विस्तार किया,
यह कैसी विस्तार हुई,
बेगूसराय की हार हुई,
या प्रकृति की अदृश्य मार पड़ी ।
मंगल कर जयमंगला देवी,
भर जल,बन गंगा कृष्णा कावेरी,
मिला पक्षी हमे,तोड़ अदृश्य बेरी,
मुझसे ही माँ जघन्य अपराध हुई,
बेगूसराय की हार हुई,
या प्रकृति की अदृश्य मार पड़ी ।
– – – – उमा झा