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11 May 2024 · 1 min read

बूढ़े भूतों का गाँव

अब यहां इस गांव मे,
औलादें नहीं रहती,
अब पीपल की छांव तले,
चौपालें नहीं लगतीं।

बाढ़ और सूखे से यहाँ की,
किसानी चली गयी,
गुरबत की मार से,
खुद्दारी चली गयी,
पालने को पेट अपना,
इस गांव की जवानी चली गयी।

तीन पीढ़ी, साथ रहती,
साथ पलती थी जहां,
सांझ को जलती भी नहीं,
कुछ घरों पे अब बाती यहाँ।

अब यहां रहते वो ‘भूत’ हैं,
जिनके चले गये ‘सपूत’ हैं,
इस गांव मे अब केवल,
वो ही ‘निवर्तमान’ के सबूत हैं।

लोग कहते हैं अब यहां,
एक चुप सी अनमनी छांव है,
क्या कह दें उनसे कि ,
ये अब ‘बूढ़े भूतों’ का गांव है…..

©विवेक’वारिद’ *

Language: Hindi
32 Views
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